कांकेर। राज्य में बीजेपी की सरकार आने से नक्सल मुद्दे में सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति प्रभावी रूप से प्रदर्शित हो रही है, जिसके फल स्वरूप कांकेर जिले के सबसे नक्सल प्रभावित विधानसभा अंतागढ़ में अब कुछ हिस्से नक्सल मुक्त होते जा रहे है। अंतागढ़ के कुछ क्षेत्र में बीएसएफ के कैंप मौजूद थे, अब इलाका नक्सल मुक्त होने के बाद उस स्थान को बीएसएफ ने खाली कर आगे रावघाट और नारायणपुर क्षेत्र में कूच कर रहे है ऐसे में खाले पड़े बीएसएफ कैंप में प्रशासन द्वारा स्कूल आश्रम संचालित किए जा रहे है।
आज से करीब 20 साल पहले बस्तर में नक्सलियों का प्रभाव ऐसा था कि वे दिन दहाड़े नक्सल वारदात को अंजाम दिया करते थे, मुख्य सड़क पर बैनर पोस्टर बांधना,किसी ग्रामीण का हत्या करना और वाहनों में आगजनी करना आम बात थी, नक्सलियों का प्रभाव इतना ज्यादा था की लोग उनके खिलाफ खुल कर बोलते भी नही थे। नक्सलियों ने न जाने कितने निर्दोष ग्रामीणों को मुखबिरी का आरोप लगा कर उनकी हत्या कर दी।
जिसके बाद नक्सल खात्मे के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने इन इलाकों में क्रम बद्ध तरीके से अर्द्ध सैनिक बल भेजना शुरू कर दिया। संवेदनशील क्षेत्रों में कैंप स्थापित किया गया। इलाके में सर्च अभियान शुरू किया। सर्चिंग के दौरान कई नक्सलियों ने सरेंडर किया, कोई मुठभेड़ में मारा गया, तो कभी नक्सलियों के हथियार, नक्सल साहित्य और दैनिक सामाग्री का जखीरा बरामद हुआ। सुरक्षा बल के जवान और पुलिस की संयुक्त कार्यवाही से नक्सलियों का शहरी नेटवर्क भी तोड़ा गया, जिससे नक्सलियों को जंगल तक पहुंचाने वाले लोग और सामग्रियों की कमी आने लगी।