रायपुर । छत्तीसगढ़ के रायपुर से एक ऐसी तस्वीर जो हर एक व्यक्ति के दिल को झनझोर कर रख देगी। इस वीडियो में एक मां ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित अपने मासूम बच्चे को सेक्शन फूड देती हुई नजर आ रही है। वही दूसरे वीडियो में आप देख सकते हैं की कैसे एक पिता किराए के एक ठेले में चाय नाश्ता की दुकान लगाकर कुछ पैसे जोड़ने में लगा हुआ है इन पैसों से मासूम बच्चे के इलाज करा सके और दवाई खरीद सके।
जानकारी के मुताबिक, 13 महीने के हर्ष को ब्रेन ट्यूमर है, ऑपरेशन करने के लिए परिवार का आज सबकुछ बिक गया है। बच्चे की महंगी दवाई के लिए रायपुर एम्स के सामने फुटपाथ में किराए का ठेला लगाकर कुछ पैसे कमा कर अपने बच्चे और पत्नी की देखरेख कर रहा है। पीड़ित परिवार से जब भोलेराम डॉट कॉम की टीम मिलने पहुंची तब मासूम बच्चे के पिता से पता चला की छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले से अपने बच्चे को लेकर बीते 2 से 3 महीने से रायपुर में है और एम्स में अपने बच्चे का ब्रेन ट्यूमर का इलाज करवा रहा है पास में पैसे नहीं होने के कारण पिता ने किसी से ठेला किराए पर लेकर और कुछ बर्तन साथ में लेकर एक चाय और समोसे की दुकान खोलकर वहीं खुले में अपने बच्चे के साथ रहता हुआ नजर आ रहा है।
लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि ठंडी के समय में काम उम्र के पीड़ित बच्चे को पेड़ों के नीचे एक कपड़े से बने झूले में रहना पड़ रह है। अपने बच्चे को बीच-बीच किमो थैरेपी नजर आती है। सबसे बड़ी बात यह है कि 2 से 3 महीने हो गए लेकिन सरकार ने किसी भी तरह से इस परिवार की मदद तक नहीं की जब, मासूम बच्चे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो स्वास्थ विभाग की टीम मौके पर पहुंची। बच्चे के परिजन से मिली लेकिन ऐसी कोई पुख्ता व्यवस्था परिजनों के लिए स्वास्थ विभाग नहीं कर सकी। जिसके बाद वहां से वापस लौट गई।
हमारी टीम ने जब बच्चे की मां से चर्चा कि तो मासूम हर्ष के मां की आंखों से आंसू बहता हुआ नजर आया खुले में रहना और खुले में अपने बच्चे को लेकर 2 से 3 महीना रहना कहीं ना कहीं मां का दर्द यहां पर छलकता हुआ नजर आ रह था। क्योंकि जिस तरह वह अपना बयान दे रही थी तो कहीं ना कहीं उस मां का दर्द भी नजर आ रहा था। हर्ष की मां ने नम आंखों से बताया कि ना ही उनके पास खाने का पैसा है, ना ही इस ठंडी में गर्म कपड़े हैं, लेकिन अपने बच्चे की कीमोथेरेपी के लिए उसे रायपुर में इसी तरह जीवन बिताना पड़ रह है। रो रो कर के सरकार से बच्चे की मां ने अपने रहन-सहन की व्यवस्था की मांग की है और अपने बच्चे के इलाज के लिए दवाओं की मांग की है।